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Op Merotha Hadoti kavi

Others

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Op Merotha Hadoti kavi

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किसान एवं भोजन की कीमत

किसान एवं भोजन की कीमत

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बहुत बुरी हालत हे भगवन् धरती पुत्र

किसान की दुख वो कितना झेल रहा है  


मतलबी इस संसार में खुद वो भूखा सो जाता है

लेकिन तुम्हें खिलाता है अपने खून पसीने से


वो धरती मां को सींचता हे। कितना दुख वो सहता है

पता नहीं ये किसको भी। सड़ते " हे " गेहूं गोदामों में


"कदर" नहीं कोई करता है कहां से आता है

ये गेहूं  किसी को भी ये मालूम नहीं हँसते-हँसते


कर लेते हो तुम बड़े मजे से ये भोजन कीमत पूछो

उससे तुम जिसने ये ' तुम्हें खिलाया है।


उसे तो खाना ही नहीं मिलता  पूछना कभी उस गरीब से 

पेट कभी नहीं भरता है उसका वो भूखा ही सो जाता है।


मांग कर लाता भोजन तो कोई उसे नहीं देता है

"धर्म" नहीं जाने , मानव का कोई अन्धकार छा रहा है।


आंखों में कभी नाम लिया हो भगवान का तो जाने वो

कीमत मानव "धर्म" की।


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