की बजाय
की बजाय
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काश कि देश बंद की बजाय
कोई बंद करा दे,
तकलीफों-मुश्किलों को।
पेन डाउन करने की बजाय,
डाउन कर दे कोई,
बीमारियों का बढ़ता स्तर।
हड़तालों में लगते नारों की जगह,
कोई लगा दे,
खाने की थाली सो रहे भूखे लोगों के लिए।
काश! कि सरकारें भी ऐसी हों,
कि धाराएं एक साथ न खड़े होने की जगह,
लागू कर दे यह धारा कि ,
देश पूरा एक साथ खड़ा रहे।
काश कि बाहर जाते वक्त,
ताला लगाने की बजाय,
हम कह कर जाएं पड़ोसियों को,
घर खुला है, अगर कुछ ज़रूरत हो तो ले लेना।
काश ! हो सकता ऐसा,
तो मैं भी सुंदर फूलों पे कविता लिख पाता।