ख्याली पुलाव
ख्याली पुलाव
ख्याली पुलाव एक मानसिक विकार।
मानो सपने देखे मुंगेरीलाल।
सो लो या जाग लो एक ही बात।
जब कुछ करना ही नहीं तो दोनों है बेकार।
ख्याली पुलाव पकाते रहो।
घर और बाहर सब की गालियां खाते रहो।
अंत में होकर के अवसाद ग्रस्त,
सारी दुनिया में निराशा फैलाते रहो।
इसके विपरीत यदि होकर अनुशासित करोगे काम।
तो सफल हो जीवन में फैलाओगे अपना नाम।
लोग तुम्हारे जैसे जीवन को तरसेंगे।
सफल होने के लिए तुम्हारे पीछे ही चल देंगे।
जो खोए रहेंगे केवल दिवास्वप्न में।
उनके सब स्वपन भी पूरे होंगे केवल स्वपन में।
इसलिए ही तो कहते हैं खड़े हो,
आगे बढ़ो और मेहनत से लो काम।
कुछ नहीं रखा ख्याली पुलाव में,
अब मेहनत पर जोर दो बहुत हो लिया आराम।