STORYMIRROR

Versha Gupta

Others

2  

Versha Gupta

Others

ख़्वाब एक निशाना

ख़्वाब एक निशाना

1 min
101

मेरे ख़्वाब भी निशाने जैसे

कभी लगते कभी छूटते


ऱोज एक ख़्वाब टूट जाता हैं|   

मेरी जीने की चाह छूट जाती हैं।

बस टूटी हिम्मत को बटोरती हूँ ऱोज

एक नया ख़्वाब बुनती हूँ

जिंदगी के पथ पर चलती रहती हूँ


इसी आश में

कभी समय को मजबूर होना होगा

मेरा एक ख़्वाब तो पूरा करना होगा।


Rate this content
Log in