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Pallavi Garg

Others

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Pallavi Garg

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खुशनुमा लम्हे

खुशनुमा लम्हे

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मन के अँधेरो को ढाँपकर

होंठो पर हल्की सी मुस्कुराहट

ले ही आते हैं,ये खुशनुमा लम्हे।।


अँधेरी रात में भी

चंद्रमा की सी रोशनी

फैला ही जाते हैं,ये खुशनुमा लम्हे।।


वर्षा ऋतु मे झर झर झरते हैं

और शरद ऋतु में ही इतनी ठंडक

दे जाते हैं कि,ग्रीष्म ऋतु की आह को भी

चट कर जाते हैं ये खुशनुमा लम्हे।।


यूँ तो अतिथि बन आते हैं

लेकिन जब भी आते हैं

जीने की वजह दे ही जाते हैं

ये खुशनुमा लम्हे।।


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