खुशनसीब हो
खुशनसीब हो
खुशनसीब हो अगर
दो वक़्त की रोटी के लिए ज़द्दोज़हत नहीं है
कि अगर, तीन वक़्त भरपूर भोजन नसीब है।
खुशनसीब हो अगर
तन ढंकने भर के कपड़े के साथ साथ
कि अगर, ओढ़ने को चादर भी हासिल है।
खुशनसीब हो अगर
चाहे खप्पड़ की, पर सर पे एक छत है
कि अगर, किराया भरने को
खर्च में कटौती की नहीं जरूरत है।
खुशनसीब हो अगर
घर में एक मोमबत्ती रखी है
कि अगर, वो सिर्फ बिजली जाने पर ही जलती है।
खुशनसीब हो अगर
रोटी, कपड़ा, मकान और बिजली की रोज़ हासिल है,
याद रहे, ये जरूरत तो है सबकी, पर हासिल बस कुछ को है। ।