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dr vandna Sharma

Others

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ख़ुशी की तलाश

ख़ुशी की तलाश

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ख़ुशी की तलाश में हम दूर तक गए

इधर न मिली ,उधर ना मिली

यहाँ ना मिली ,वहाँ ना मिली

मिली तो मेरे मन में मिली

बैठी थी एक कोने में

लगी थी रोने -धोने में

मैंने पूछा -ये क्या बात हुई ?

नाम तो ख़ुशी ,और खोयी हो झमेलों में

उसने कहा -

तुम्हारी उदासी मुझे

नहीं आने देती बाहर

तुम मुस्कराऊं तो मैं आती हूँ बाहर

जिसे तुमने ढूंढा जग में

मिलेगी तुम्हे अपनी हँसी में

मेरे हँसते ही फ़ैल गयी ख़ुशी चहुँ ओर

और बिखेर दिए इंद्रधनुषी रंग ज़िंदगी में

अब मुझे हर पत्ता हँसता लगता है

कबूतर का फुदकना ,चिड़िआ का चहकना

पेड़ो का हिलना ,सबमें संगीत बजता है

बादलो से बनती बिगड़ती आकृति

कितनी सुन्दर है ये प्रकृति

बारिश की बूंदो में जीवन समाया लगता है

ख़ुशी ही ख़ुशी ,मन की ख़ुशी

मुझमें ही मिली


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