खुद को देखो
खुद को देखो
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जब से शादी
होकर आई
माँ जी के
अनुशासन ने
समय के साथ
हर काम को
करना सीखा दिया
उनका दिल
जीतने और
उनकी प्यारी
बहू बनने में
हमने अपने
आपको भुला दिया
घर में सबका
सबकी पसंद
सबकी जरूरत
का ख्याल
रखते रखते
खुद की जरूरत
खुद की इच्छाएं
खुद के सपने
खुद के अरमान
सब कुछ भुला दिया
पैंतीस की उम्र
में ही पचास की
नजर आने लगी
कभी अपने बारे
में सोचा ही नहीं
आज वही अपने
कहते है
खुद को देखो