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खलल मन....

खलल मन....

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जगहें बदल के देख ली 

सोच भी बदल दी
पर दुनिया वहीँ है
जहाँ कल खड़े 
हर एक की जज़्बात को
नीलाम कर रही थी ...

आज भी जहन से 
वह तसवीर उतरती नहीँ 
आज भी रूलाऐ बिना 
वह मंज़र गुज़रती नहीँ 
सालों बीत गऐ  ....
आज भी जलाऐ बिना 
घुटन की आग बुझती नहीँ .....।

 


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