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Deepali Mathane

Others

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Deepali Mathane

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कहीं तो आशियाना होगा

कहीं तो आशियाना होगा

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कहीं तो आशियाना होगा हमारे सुनहरें सपनों का

महफूज होंगे सपनें हमारे साथ पा के अपनों का


मुसलसल सफर पर निकले हम जैसे कुछ दीवानों का

शमा-ए-ख़ास को भी इंतज़ार दिल फेक परवानों का


महकें आशियानें में दिल से खिले गुलिस्तानों का

महफ़िल-ए-तबस्सूम में गातें अनगिनत से तरानों का


ज़िंदगी से मिले खुशगवार, अज़ीज़ कुछ नज़रानों का

तहे दिल से शुक्रगुज़ार मेरा रोम-रोम उन मेहेरब़ानों का


हम क्या ग़ुज़ारिश करे कुछ तो किस्सा होगा हमारे फ़सानों का

कहीं तो एक आशियाना इंतज़ार में होगा हमारे सपनों का।


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