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Ritu Sama

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Ritu Sama

खाली सी मुलाकात

खाली सी मुलाकात

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वो मुझसे मिलकर भी नहीं मिला

जैसे चाँद देखा चाँदनी के बिना

देखा मेरी आँखों में नहीं जुस्तजू का सागर

बस एकटकी और मुँह अपना फेर लिया


फिर घंटों गुज़ारी ख़ामोशी की गोद में

एक थमी सी हवा सांस की आवाज़ बिखेरती रही

मैंने तो फिर भी कुछ खाली यादों को बटोरा 

पर वो अगले ही पल इन पलों को भूल गया


मेरे मन के तूफान को ब्यान करने की बेचैनी

या फिर वो कुछ कहे, इस उम्मीद की राह मैंने देखी

असमंजस में डूबी वो दोपहर थी अनोखी

बारिश के इंतज़ार में जैसे हो बंजर धरती


फिर एकाएक कड़ियों का टूटना

बिना कहे, बिना सुने, उसके कदमों का बढ़ना

हुई समाप्ति की अनकही घोषणा

पर दिल को मेरे आज तक है लगता...

वो आया भी नहीं..... और चला गया


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