खाला खिचड़ी ए बबुआ
खाला खिचड़ी ए बबुआ
ससुरा के माड़ो के तू ही चनरमा।।
मुँहवा फुलाय बाबू जईबा कहाँ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ।
बाथे कपार कहा मरचा घुमा दीं।
गरमी लगत बा त बेना डोला दीं।
साली सढ़ूआईन सब तोहे समझावे,
खोदी सरहज त बबुआ लुकईबा कहाँ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ।
काहे खिसियाईल बाड़ा बोला तू हाली,
सईकिल आ सिकड़ी के बात रहे खाली,
हमनी के अइसे अँउजल जनि करा,
ना त मूसर के घुसर पचईबा कहाँ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ।
खाला हाली हाली तोहे अँगूठी पहिराय देब।
हथवा के खातिर एगो घड़ियो मँगाय देब।
सास ससुर बईठ सब तोहके मनावे,
बाबू होखी निरदईया जईबा कहाँ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ।
ससुरा के माड़ो के तू ही चनरमा।।
मुँहवा फुलाय बाबू जईबा कहाँ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ।