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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Others

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

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कभी सपने आंखों में नज़र आते हैं ?

कभी सपने आंखों में नज़र आते हैं ?

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सपनों का क्या, सोचते हैं

आँखों में हो या नज़र में 

बातों में हो या असर में 

परेशां करते हैं ज़रूर, इस तरह 

जैसे मिले तो जीत, जिस तरह 

जीवन का लक्ष्य, खोजते हैं

सपनों का क्या, फिर सोचते हैं !


कोई नज़र में उठा देगा भला 

या नज़र से गिरा देगा आला 

कम्बखत सपने कायम इस तरह 

पूरे ना हो मसले जिस तरह 

आखिर आँखों से उनको ढूँढते हैं

ऐसी नजरों का क्या , सोचते हैं

ऐसे अपनो का क्या सोचते हैं

ऐसे सपनों का क्या सोचते हैं



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