कैसे कह दूँ ...
कैसे कह दूँ ...
कैसे कह दूँ कि तुम्हें जाने की इज़ाज़त है!
कैसे शह दूँ कि उन्हें बेमन की बगावत है!!
यूँ धड़कनो में दबे जज़्बात उभरने लगे!
तुम बेवजह ही तो हमपर बिगड़ने लगे!
फ़ासले दरमियाँ तो ज़माने ने भी देखे है!
ज़िन्दगी में तेरा एहसास मेरी अमानत है!!
कैसे कह दूँ कि तुम्हें जाने की इज़ाज़त है!
कैसे शह दूँ कि उन्हें बेमन की बग़ावत है!!
दिल के मकान में तुम्हें उम्मीद से बसाया था!
तुमने बेवजह रुसवा सरेराह कराया था!
इल्ज़ाम थे झूठे या वादों में तेरे धोखे थे!
फ़िज़ूल था कहना तुझसे इश्क़ इबादत है!!
कैसे कह दूँ कि तुम्हें जाने की इज़ाज़त है!
कैसे शह दूँ कि उन्हें बेमन की बगावत है।