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Laxmi Yadav

Others

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Laxmi Yadav

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कात्यायनी देवी का भारत भारती देवी को आश्वासन

कात्यायनी देवी का भारत भारती देवी को आश्वासन

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छोड़ के कत्यायांनं बाबुल का द्वार , 

पैरों में रचा महावर हाथ मे लिए तलवार, 

ललाट पर शोभे चंदन, 

तीनों लोक करे अभिनंदन, 

देवी चरण कमल धर रही धरा पर, 

इतने मे ध्वनि पड़ी माता के कर्ण पर, 

रक़्त रंजित भारत माता 

सिसक रही थी राह मे, 

हाय कैसी ये विपदा आई, 

किसने इनकी ममता ठुकराई, 

कैसे जननि का ये हाल हुआ है, 

कौन आज देश का काल हुआ है, 

क्या मानव ने ही तुमसे छल किया है, 

सुन कर बिलख उठी भारतमाता, 

जाने कौन देश से कोरोना निशाचर है आया, 

कहर बनकर मुझ पर है छाया, 

दहशत से जर्रा -जर्रा है थर्राया, 

हे करुणा की देवी हे शीतल छाया, 

बस दे दो आशीष 

 जिसमे सबका हित समाया, 

सुनकर बोली देवी

 मत हो भारती तुम उदास

पर , मानव ने ही दोनों जननि का हास किया

क्या उसे नही पता था, 

जननी जन्म भूमिश्च् स्वर्गा यद्यपि गरियसी, 

बोलो क्यो तेरा मानव जाता परदेश है, 

आज क्या नही तुम्हारे पास है, 

कौन सा ऐश्वर्य माँ के आँचल से है बढकर

कौन सी संपदा धरती मां से बढ़कर

क्या हासिल किया भारत माँ को ठुकराकर याद रहे, 

स्वर्ग बना लो चाहे कही पर

सुख मिलता अपनी ही जमी पर

इसीलिए कोरोना ने पाठ पढ़ाया

उनको देश की मिट्टी पर ले आया

व्यथित न हो भारत भारती

मैं आशीष देने ही उतरी हू

आशीष देकर ही जाऊँगी

सदा सलामत रहे तेरा दामन

सदैव गुलज़ार रहे तेरा चमन

आज कोरोना की काली रात ही सही

पर कल का उजला सबेरा तेरा होगा

तेरे बच्चे आज़ाद रहेंगे

दुनिया में तेरा तिरंगा जिंदाबाद रहेगा।


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