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Shalinee Pankaj

Others

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Shalinee Pankaj

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काश!!तेरे कलम की स्याही बन जात

काश!!तेरे कलम की स्याही बन जात

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सुनो!!

तुम लिखते हो न

मेरे लिए

मेरे बारे में

मुझसे शुरू

और मुझ पे ही आकर खत्म होती है

तेरी हर अभिव्यक्ति

तेरी हर कविताओं में

मेरा वजूद रहता है

मेरे होने की खुश्बू

फिर भी मैं खुश नही

सामने हूँ तेरे

और तू मशगूल है लिखने में

कभी -कभी ईर्ष्या हो जाती है

तेरी लेखनी से

और जी करता है

काश!!

की तेरे कलम की 

स्याही ही बन जाती

मेरी आत्मा का निचोड़

रिसता रहता बूँद बूँद

कागज के हर पन्नो में

उभरता मेरा अक्स

तेरे हर पल में साथ तो रहती


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