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संदीप सिंधवाल

Children Stories

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संदीप सिंधवाल

Children Stories

कागजी जहाज

कागजी जहाज

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बीता बचपन सबका एक जैसा ही होता है

कागज़ का जहाज़ उड़ाना एक सामान्य सी

बात है।

एक लगन और मेहनत से बच्चा इसे बनाता है

बिल्कुल गंभीर जैसे बड़ा प्रोजेक्ट उसे देखते

हुए लगता है कि ये बच्चा नहीं वयस्क है 

जिसे परिपक्वता की समझ है। 


उसका आत्मविश्वास झलकता है

उड़ाने से पहले उसे थोड़ा फूँक देता है 

मानो भरोसे का ईंधन भर रहा हो

उपयुक्त जगह चयनित कर उसे आसमान में

प्रेषित करता है। 

मानो जैसे अनुसंधान केंद्र से अंतरिक्ष में रॉकेट

छोड़ा गया हो

कुछ ही दूरी सही एक असीम आंनद

मिलता है उसे।

क्योंकि ये उसकी अपनी बनाई है।


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