जयकारे
जयकारे
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खुद से दूर क्यूँ हो फिरते मारे मारे
यकीं खुद पर, खुद से क्यूँ हो हारे
उठो, चित्कार को बनाओ जयकारे
अब तो न ही बनो खुद के हत्यारे।
प्रतिभा मुखरित हो जो भीतर गाड़े
उठो अब पा भी जाओ लक्ष्य सारे।
रखो नजर मंजिल पर दिन रात प्यारे
अब तो न ही बनो खुद के हत्यारे।