अनूप सिंह चौहान ( बब्बन )
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जनतंत्र को सदा,
जन का सहारा चाहिए,
जनता को भी जनतंत्र ही,
आगे बढ़ाना चाहिए,
जन खुद करे जो,
जन पर जो हो,
जन हेतु वाला,
ही तो शासन चाहिए,
जनता जनार्दन है,
यही जनतंत्र को भी,
समझना चाहिए,
जब-जब हुआ,
यह जबर तब ही,
जीत जन की आई है
वीर की विनय
काली रात
महफ़िल
कलाम
उसका जाना
कृषक
विद्यारम्भ
साथ
जिद