ज़ख्म
ज़ख्म
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हजारों ज़ख्म समेट कर
हजारों बार टूटा है
दिल थोड़ा खफ़ा-सा है आज
शायद खुद ही से रुठा है।
हजारों ज़ख्म समेट कर
हजारों बार टूटा है
दिल थोड़ा खफ़ा-सा है आज
शायद खुद ही से रुठा है।