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Kavita Sharrma

Others

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जिंदगी - इन दिनों

जिंदगी - इन दिनों

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जिदंगी की भाग दौड़ रूक सी गयी है इन दिनों 

घर तक सीमित हैं सब कुछ इन दिनों 

काम पर जाना है बंद स्कूल, काॅलेज सब है बंद 

अब घर में रहकर ही जिंदगी को पटरी पर

लाना है इन दिनों 


गलियाँ सब वीरानी हैं, सन्नाटे की आवाज़ भी सुन पाती है

बाजार की रौनक भी फीकी हो गयी इन दिनों 

वो दिन फिर जल्दी आयें सब अपने काम पर जायें 

जिंदगी फिर से दौड़ पड़े अपनी पटरी पर 

बस प्रार्थना कर रहे ईश्वर से यही इन दिनों


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