जिंदगी एक बुलबुला पानी का।
जिंदगी एक बुलबुला पानी का।
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जिंदगी एक बुलबुला पानी का,
यारों पानी में पत्थर मत मारो।
पानी साफ हुआ तो प्यास बुझती,
मटमैला तो समझो मुंह हुआ काला।
जहां-जहां एहसास हो अपनेपन का,
वहां-वहां लालच और दगा का क्या काम।
जहां-जहां होती बैर-भावना और सदा क्लेश,
वहां त्याग-समर्पण, अपनेपन का क्या काम।
