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Monika Agarwal

Others

5.0  

Monika Agarwal

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जीवन संघर्ष   

जीवन संघर्ष   

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संघर्ष भरा है निज जीवन तो फिर घबराना क्यूँ,

बलवान अगर संघर्ष है तो भी सिर झुकाना क्यूँ,

संघर्ष के साथ गर जिन्दगी है तो यूँ ही कटने दो,

अचार का चटपटा मलीदा सभी को जरा बंटने दो,

चट करो इसे पी कर जीवन रस के साथ हजम कर दो,

विजय-घोष की फिर संघर्ष को डकार हुँकार भी दो,

पिस लिया बहुत चिर जीवन इसके कदमों तले,

हर कदम समझौता क्यूँ,

पराजय की इसे ललकार भी दो


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