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Monika Agarwal

Others

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Monika Agarwal

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किसके वास्ते

किसके वास्ते

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अजीब सी है बात
ये सब किसके वास्ते
रास्ते तलाशते हुए शरीर 
सिर्फ और सिर्फ सुख भापते
रास्ते चाहे आत्मा
सिर्फ और सिर्फ चाहे 
ज़िंदगी को समझना

इस दुनिया की भीड़ मे
खोया-खोया सा शरीर
अनभिज्ञ दुनिया की चालो से
ऊपर नीचे करते हुए
सिर्फ और सिर्फ चलते हुए
पाले हुए इक आस
कि कभी मिलना तो होगा
अपनी आत्मा के साथ
बस रूह को पाने की प्यास
और सिर्फ यूही चलते-चलते
आ जाती है उसे नींद
ये जिस्म सो जाता है
गहरी नींद  उफ्फफ....
इसके बाद फिर वही तलाश
इक नये शरीर की
इस न टूटने वाले चक्र को
बिना समझे 
फिर चाहे रास्ते 
रूह खो जाती है  फिर से
और फिर शुरू हो जाता है 
वही खेल न रूकने वाला खेल

इधर-उधर
ऊपर-नीचे
आगे-पीछे का
चूहे बिल्लो की दौड़ का
भागमभाग का
घमासान ज़िंदगी का

ऊपर-नीचे करते हुए
इन अनजान रास्ते पर चलते हुए
यदि कोई मिल जाए
अपनी आत्मा से
जान जाऐ इस मर्म को
ज़िंदगी के दर्द को
आत्मा शरीर को
शरीर आत्मा को
आत्मसात करके
एक-दूजे को
तो वे पा लेगा वो
जो पा न सका कोई
हो कर अमर पा लेगा
अलौकिक प्रकाशमयी 
स्वरुप को।।


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