जीत मेरी ही होगी
जीत मेरी ही होगी
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जब लड़ा हूं मैं, मेरे जज्बातों से।
तो मैं हर क्यों मानूंगा।
गिरकर उठुंगा, उठकर गिरूंगा।
लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा।
मेरा पुरुषार्थ है कर्म मेरा।
उसको मैं पूरा करूंगा।
हर तूफां को, सहूंगा मैं।
पर मैं हार नहीं मानूंगा।
अड़चने आएंगी बहुत,
संकट भरे रास्ते होंगे।
मैं हर संकटों को पर करूंगा।
पर मैं हार नहीं मानूंगा।
गिरने वाले बहुत मिलेंगे मुझे,
पर मेरे हौसले मजबूत होंगे।
पैरों को जमाकर में आगे बढुंगा।
पर मैं हार नहीं मानूंगा।
