झूठ बोलना
झूठ बोलना
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झूठ बोलना पाप है
सब कहते हैं,
पर अपने मतलब के लिए
झूठ के मायने बदल जाते हैं।
हम सिखाते हैं
हम पढ़ाते हैं
झूठ बोलना पाप है।
पर देखता हूँ
समाज के समीकरण में,
कदम-कदम पर झूठ है।
सच के साथ चलने वाला,
हर समीकरण से बाहर है।
लोग सच पर,
बड़े-बडे़ भाषण दे जाते हैं।
फिर सारे पापों को,
धोने के लिए
गंगा नहा आते हैं।