VIVEK ROUSHAN
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मंदिर, मस्जिद
गुरुद्वारा, गिरिजा घर में बन्द
भगवान भी कुछ न कर पाए
जब दुःख की घड़ी आए
सब अपने-अपने दरवाज़े
बन्द कर जाए
जब भगवान हीं
मनुष्यों के दुखों को न समझ पाए
फिर अपनी-अपनी
तकलीफों को लेकर लोग कहाँ जाए।
खुदा हो जाए
सजा नहीं सकता
प्यार क्या कर...
उसे ही याद कर...
हम भूलते कै...
घर के ना रह
भुलाया भी नही...
अपने शहर जाते...
रोज़ पुकारा कर...
सुनता कोई नही...