जादूगर और राजकुमारी
जादूगर और राजकुमारी
एक महल में जादूगर आया !
उसने अपने जादू से ..
अपना प्रभाव दिखाया !
पर राजकुमारी को वह जादूगर,
फूटी आँख न भाया !
पर राजा से कैसे कहे वह मन की बात ..
एक दिन जब हो गई जब अंधेरी रात ..
जादूगर ने महल में फ़रमान सुनाया !
कि अब महल के राजसिहांसन '
पर है उसका अधिकार !
जिसे भी होगा अस्वीकार ...
उस पर होगा तलवार से वार !
बेचारे राजा रानी और राजकुमारी .…
हो गए गुलाम बेचारे सपरिवार !
तब एक दिन राजकुमारी ने देखा कि..
एक चील में रहते हैं उस जादूगर के प्राण !
इक दिन चुपके से राजकुमारी ने चील की..
गरदन हाथ से दबाई !
तभी देखा जादूगर बेचारा करने लगा त्राही त्राही!
और तब भी जादूगर को अक्ल न आई !
तब राजकुमारी ने कहा बुरे कर्म करते हुए तुझे ,
लाज न आई , तू जादूगर नहीं है तू है सौदाई ,
और तभी देखा सबने जादूगर का सम्मोहन टूटा ,
उसने जादूगर के वेश में था महल को लूटा !
अब राजा रानी और सारी प्रजा में प्रसन्नता छाई।
सब कहने लगे राजकुमारी ने अपनी बुद्धिमता से
राजमहल और सारे राज्य की जान बचाई !
ऐसे राजकुमारी सी सन्तान सबको मिले भाई !
राजमहल में फिर से खुशियों की बेला आई
