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AMAN SINHA

Others

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AMAN SINHA

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जा रे जा रे कारे कागा

जा रे जा रे कारे कागा

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जा रे जा रे कारे कागा मेरे छत पर आना ना 

आना है तो आजा पर छत पर शोर मचाना ना 


तू आएगा छत पर मेरे कांव-कांव चिल्लाएगा 

ना जाने किस अतिथि को मेरे घर बुलाएगा 

उल्टी पड़ी पतीली मेरी और चूल्हे में आंच नहीं 

थाल सजाऊँ कैसे मैं घर में कोई अनाज नहीं 


 जा रे जा रे कारी चींटी मेरे घर तू आना ना 

टूटी मेरी कुटिया में तू अपना घर बसाना ना 

तू आएगी साथ में अपने बैरी बादल लाएगी 

छत से पानी टपकेगा फिर तू चैन से सो ना पाएगी 


 जा रे जा रे चाँद निगोरे मेरी अटरिया आना ना 

अपनी सूरत में मुझको परदेशी की याद दिलाना ना 

तू आएगा साथ में अपने भूख भी मेरी ले आएगा 

सूनी अँधियारी रातों में रोटी की याद दिलाएगा 


जा रे जा रे शैतान चकोरे पीहू-पीहू बुलाना ना 

साँझ ढले जब चैन ना आए प्रियतम की याद दिलाना ना 

तू बैठेगा डाल पर मेरे अपने साथी को जोहेगा 

लेकिन मेरा पागल मन फिर प्रिय की यादों में खो जाएगा।


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