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Dravin Kumar CHAUHAN

Others

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Dravin Kumar CHAUHAN

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इतनी याद क्यों आती है

इतनी याद क्यों आती है

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कभी-कभी इतनी याद क्यों आती है

साथ बिताए लम्हे उनके क्यों याद आते हैं

जो साथ है वह नजर क्यों नहीं आते हैं

जो दिल में घाव देकर दिल से बाहर चले गए

वह दर्द देने क्यों आया करते हैं

जो साथ हैं वह नजर क्यों नहीं आते हैं

प्यार है तुमसे ऐसा सभी कहने वाले बहुत दूर रह जाते हैं

जो नफरत करते हैं वह पास क्यों आते हैं

कभी-कभी दूर रहने वाले पास चले आते हैं

पास रहने वाले दिल से दूर क्यों चले जाते हैं

क्यों छोड़ जाते हैं वादा करते हैं साथ निभाने का

बीच मजधार में अकेले छोड़ कर चले जाते हैं

कभी-कभी क्यों इतनी याद आती है

उनके साथ बिताए लमहे रातों की नींद क्यों ले जाती है

जो दिल में रहते हैं वह नजर क्यों नहीं आते हैं

जो दिल में जख्म देकर दिल से दूर हो जाते हैं

वह क्यों पास आते हैं दर्द को ताजा करके फिर क्यों चले जाते हैं

साथ रहना बिछड़ना यह तो परंपरा है रीती है संसार की

पर झूठे वादे करके क्यों चले जाते हैं

कुछ पल ठहरते हैं फिर चले जाते हैं

लोग क्यों मौसम के जैसे बदल जाते हैं

वादा करते हैं फिर मुकर जाते हैं

कभी-कभी क्यों उनकी इतना याद आती है

जो दिल में रहते हैंपर पास नजर नहीं आते हैं

कभी-कभी मीठा मीठा सा दर्द दे जाते है

पर मुस्कुराहट भी आती है खैर फुर्सत मिली एक और यार से जो

झूठा था झूठा वादा करता था साथ निभाने का कभी-कभी क्यों याद आते हैं

जिनके लिए दिल में जगह नहीं वही पास क्यों नजर आते हैं

यह समय है समय का बदलाव मौसम की तरह है पर लोग क्यों बदल जाते हैं

पर कुछ लोग ही बदलते हैं कुछ लोग तो मजबूर होते हैं छोड़ जाते हैं

साथ निभाने की हर संभव कोशिश करते हैं

और कहीं ना कहीं अधूरी सफर छोड़ जाते हैं

कभी-कभी क्यों इतनी याद आती है साथ बिताए लमहे क्यों ज़ख्म दे जाती है

रातों में नींद उड़ा जाती है जो दिल में है वह पास नजर नहीं आते हैं.



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