इश्क़ से आज़ादी
इश्क़ से आज़ादी
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कुछ पल की खुशी को तो
मुझे जी लेने दे
हाथों में जाम रखकर बस
मुझे पी लेने दे
ज़माने के ज़ख्मों से पहले
ही बड़ा शर्मिदा हूं
अब तो मुझे थोड़ा जख्मों
को सी लेने दे
दर्द भी अब और हमे
कितना ज़्यादा दर्द देगा
दर्द को बस अब हमेशा
के लिए दवा बनने दे
मौत से ज़्यादा तो पहले ही
मैं मर चुका हूं
अब तो बस इश्क़ की गली
से मुझे निकल जाने दे
अब और ग़म ए मोहब्बत
बर्दाशत नहीं होता है साखी
अब तो बस हमे पिंजरे से
आज़ाद हो जाने दे