इश्क की जुगलबंदी
इश्क की जुगलबंदी
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इश्क की जुगलबंदी, हमसे जुदा नहीं होती
हमारी आँखों से बहती, हमारी हृदय से रोती
इसे कौन समझाये, ये क्या है हमारी परछाई
हमारी होती है जुगलबंदी, इसे हम दिल से मानते हैं
इसमें मौज होती है, और हमारा दिल जीता है
हमारी साँसों में होता है इसका स्वागत
हमारा दिल होता है आजमाइश, जो हमें हमेशा संभलता है
इसे हम इश्क कहते हैं, जो हमारी जुगलबंदी होती है
हमारी जुगलबंदी से, हम कभी नहीं दूर होते
इसे हम हमेशा सेहती, और हमारा दिल हमेशा सुनता है
हमारी इश्क से, हम हमेशा सुखी रहते हैं
इसलिए हमारी जुगलबंदी, हमेशा हमारे