इंतजार
इंतजार
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लालिमा लिए सूर्य
जब उदित होता है,
तो खत्म होता है
सुबह का इंतजार ।
दिन जब
ढ़लने को होता है
निशा बाहें फैलाये
करती रहती है इंतजार ।
सफर में
चलते राही को
रहता है मंजिल का इंतजार ।
हर पल, हर घड़ी
रहता है हमें
किसी न किसी
बात का इंतजार ।
एक पूरी होती है
तो दूसरे का
करने लगते हैं इंतजार ।
पूरे हो जाए जब इंतजार
तो चाहे कितने ही गीत गा लें,
मगर कैसे भूलें कि
तकलीफ ही देती है 'वो घड़ी'
जब करते रहते हैं 'इंतजार' ।