इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
इंद्रधनुष नभ पर तुम छा जाते हो,
कहां से यह सात रंग ले आते हो,
आकाश में कोई घर है तुम्हारा,
या यूं ही नभ पर परचम लहराते हो।
सूरज की किरणों से आलोकित,
या फिर बादल की बूंदों से निर्मित,
सात रंग के चक्र से अंबर सजाते हो,
कहां से यह सात रंग ले आते हो?
वर्षा ऋतु का आरंभ हो या फिर,
भरी दुपहरी,बादल भरा गगन हो
कोई सीमा नही,ना कोई बंधन हो
आते हो जब पावस का अंत हो।
इंद्रधनुष क्या संदेश तुम्हारा है,
धरती पर रंगो को फैलाना है ,
जीवन के छुपे राज को बताना है ,
या फिर अंबर को रंगों से सजाना है?
तुमको नभ पर छाते देख हमने जाना,
सुर्य की किरणों में छुपे रंगों को पहचाना,
फूल पौधे पशु पक्षी जीवन को रंगों से,
तुम ही सजाते हो,नभ पर छा जाते हो।
