ईश्वर की गोद में
ईश्वर की गोद में
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अगर तू मुकद्दर है सबका ,
मैं भी हूं सिकंदर अपने मन का,
तू बदलता है तकदीर सबकी ,
मैं करता हूं तदबीर खुद की।
तुझे अहम है अपने दम का ,
मैं भी अहमक अपने मन का ,
तू डराता है हरदम सभी को ,
मैं डरता हूं सिर्फ खुद से।
दुनिया पाना चाहे तुझको,
मैं तो खुद को पा चुका हूं,
जितनी मुझको है जरूरत ,
उतना ही मैं करता हूं कीरत,।
मैं कभी ना रहता तेरे भरोसे ,
तू ना कभी है मुझको पोषे,
तेरी अहमियत ना है मेरे सामने,
मैं जो बैठा ईश्वर की गोद में।