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Garima Kanskar

Others

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Garima Kanskar

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ईर्ष्या

ईर्ष्या

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जब वो मुझसे अच्छा

काम कर देती थी

तो मैं ईर्ष्या से भर जाती थी,

मैं समझ ही नहीं पाती थी

कि क्या करूँ?

उसका काम

बिगाड़ कर,

उसे रुलाकर,

ही चैन पाती थी।

सभी लोग मुझसे ही

बातें करें

मुझे ही हर

बात में पूछें

तभी मुझे अच्छा लगता

नही तो मेरा दिल जलता।



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