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Rajni Sharma

Others

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Rajni Sharma

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हत्यारे

हत्यारे

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आज न जाने क्यों 

दिल में कुछ 

तूफान सा है,

कोई तो अहसास 

फिर से कहीं 

उलझा सा है।

अरे ! तक्कलुफ़ क्या करूँ ,

आपसे क्या छुपाना 

कुछ तो है

मन में ,

मेरा हाले दिल 

बयां जो है करना।

क्या कहूँ 

प्रश्नचिन्ह हूँ मैं 

या प्रवाहिनी 

स्पर्श करणी 

प्रेम प्रतीक 

लाल वर्ण धारीणी।

भ्रमित न हो 

हत्यारन बन कर 

ये सब पद 

हैं मुझे मिले, 

किसी की भावनाओं में 

कोई पुष्प न मेरे लिए,

कभी खिले।

कत्ल चाहे 

शरीर का हो 

या फिर जज़्बातों का 

हार जाता है, हर इंसान 

किस्मत की लिखी 

अनचाही लकीरों से।




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