Shalinee Pankaj

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Shalinee Pankaj

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हृदयांश मेरी

हृदयांश मेरी

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ना लगाओ माँ मुझे

मेरी आँखों में काजल

छोटी नहीं हूँ माँ मैं

बढ़ी हो गयी हूँ अब।


कितना गहरा रंग है मेरा

काजल भी शर्माता है

सखियाँ मुझे चिढ़ाती है

ये रंग ना किसी को भाता है।


गोरी नहीं हूँ माँ

जो लग जाये मुझे नजर

अर्धचंद्र और अँखियों में

क्यों लगाती है तू इस कदर।


फिर कान के पीछे भी

मेरे पाँव के नीचे भी

नहीं जापानी गुड़िया तेरी मैं,

मैं तो काली चिड़िया हूँ।


फिर लगाती क्यूँ इतना काजल

समझ ना मुझको आता है

बता ना माँ मुझे क्या

तुझे ये मेरा रंग भाता है।


माँ बोली सुन नन्ही चिड़िया

तू ही मेरी प्यारी गुड़िया

जिगर का टुकड़ा हृदयांश मेरी

जैसे जन्नत से आई फ़रिश्ता कोई।


आँचल के साये में हो पली

हाँ अब बढ़ी हो चली

पर कितनी बढ़ी भी तू हो जाए

रहेगी मेरी नन्ही चिड़िया।


बुरी नजर से बचाने तुझे

हर बला से छिपाने तुझे

काजल लगाया करती हूँ

और लेती हूँ बलईयाँ बारम्बार।



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