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नंदन पंडित

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नंदन पंडित

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होली फिर आना

होली फिर आना

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अभी नहीं है फुर्सत

होली फिर आना।


अभी बेचना गन्ना बाकी

अभी मटर गेहूँ कटना

अभी मड़ाई करना बाकी

बँगलों का हिस्सा बटना।

अभी बकाया टहल

बहुत सा सरकाना।

अभी नहीं है फुर्सत

होली फिर आना।।


अभी पड़ा है गोबर-पानी

बाकी चौका-बर्तन

कुटना और पछोरना बाकी

बाकी सौ-सौ नर्तन ।

अभी द्वार पर सरसों

को है लतियाना।

अभी नहीं है फुर्सत

होली फिर आना।।


अभी लीपना घर अँगनाई

बाकी ‘सम्मय पूजा'

मुन्ना-मुन्नी को नहलाना

घर में न कोई दूजा।

अभी बकरियों को

जंगल में टहलाना।

अभी नहीं है फुर्सत

होली फिर आना।।


अभी पिता का अस्थि

विसर्जन करना है प्रयाग

लकवाग्रस्त अम्ब के तन में

मलना है अँगराग।

अभी हाथ बिटिया के

पीले करवाना।

अभी नहीं है फुर्सत

होली फिर आना।।


अभी हाथ कुछ अधिक

तंग है,पास न फूटी माया

अभी पास न रंग है अपने

न निज जीवन, काया।

अभी पिता का कर्ज

बकाया निपटाना।

अभी नहीं है फुर्सत

होली फिर आना।


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