हमेशा खुश रहें
हमेशा खुश रहें
प्रफुल्लित और प्रसन्न रहें।
उदासी को दूर भगाएं।
अवसाद से ज्यादा संक्रामक कुछ भी नहीं है।
आत्मनिरीक्षण, दिव्य गीत, प्रार्थना, प्राणायाम,
खुली हवा में सैर, और विपरीत गुण को सोचना ,
अर्थात् आनंद की भावना के बारे में सोचकर अवसाद
और निराशा की भावना को एक
बार में बाहर निकाल दें।
याद रखें कि एक सकारात्मक दृष्टिकोण हमेशा
नकारात्मक पर विजय प्राप्त करता है।
केवल दूसरों के लिए वरदान बनकर जिएं।
अनुभव करें कि सब हल्का और आनंद ही है।
मन को बाहरी वस्तुओं में न लगने दें।
मन की सभी बिखरी हुई किरणों को इकट्ठा करें ।
अपनी ध्यान और एकाग्रता की
शक्ति को ठीक से विकसित करें।
आप जो कुछ भी करते हैं उसमें मेहनती बनें।
दिलचस्प कार्यों और विचारों में रुचि पैदा करें।
आप पाएंगे कि कई मानसिक कमजोरियां
गायब हो रही हैं।
दिमाग मजबूत होगा।
आप पूर्ण शांति और खुशी का आनंद लेंगे।