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Dheeraj Kasturi

Others

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Dheeraj Kasturi

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हम तो छायावाद हैं दोस्तों

हम तो छायावाद हैं दोस्तों

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ज़िक्र किया किसी दिन हमने

कि किस तरह कलियाँ खिलती हैं

फिक्र किया हमेशा मन में

जो एक दिन सब मुरझाती है।


चमन के हर एक फूल देखकर

हम नए शेर सुनाते हैं

बाग के गुलशन खिल उठने पर

नज़्म अनोखा गाते हैं।


कवि और शायर वे होते हैं

जो शब्द और लफ्ज़ सजाते हैं

हम तो छायावाद हैं दोस्तों

जो रूह में जहान बसाते हैं।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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