ज़िन्दगी की सफर
ज़िन्दगी की सफर
1 min
165
चलने कहीं दूर हम निकल पड़े
लाचार और मजबूर हम राह पे खड़े
दुनिया की माया में हम खुद से लड़े
दुआ और दीनता से बने इंसान बड़े