हे प्रभू !आप दो
हे प्रभू !आप दो
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हे प्रभू ! कोई प्यार का आलाप दो
कठिन दौर, भाई -भाई का मिलाप दो।
मेरे मुल्क के लोग बहुत परेशां हैं
और मत उन्हें कोई संताप दो।
जो डस सके देश के दुश्मन को,
पल रहे ऐसे आस्तीन के सांप दो।
गलत करने से पहले सौ बार सोचूं,
मेरे बदन में ऐसी कांप दो।
रह -रह के मुठ्ठियाँ जोश से भर रहीं
है क्रोध बड़ा, मत इतना ताप दो।
पीछे रह जाता हूँ ज़माने की भीड़ में,
"उड़ता "मुझे रफ़्तार औकात सी आप दो।