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Phool Singh

Others

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Phool Singh

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हे नौकरी

हे नौकरी

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हे नौकरी, क्या तुम्हें मालूम है

कितने लोगों का ख्वाब हो तुम 

तेरे लिए दिन रात मेहनत करते 

कितनों के जीने का, मकसद हो तुम।।


न्यौछावर करते सारी खुशियाँ 

नवयुवकों का प्यार हो तुम 

चकाचौंध में खोएँ रहते 

स्वर्ग के जैसा आभास हो तुम।।


परवाह नहीं है किसी को किसी की  

हर हुनर का मुकाम हो तुम 

रोजगार का माध्यम बन 

जीवन जीने की शैली हो तुम।।


भूल जाते सब घूमना-फिरना 

सबसे बड़ा त्यौहार हो तुम 

होली, दीवाली फीके है सब 

जश्न मनाने का कारण हो तुम।।


हाथ में जब भी उनके आती 

हर युवाओ का जज़्बात हो तुम 

तेरे लिए ही खवाब है बुनते 

हर युवक की पहचान हो तुम।।


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