हालात
हालात
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अकसर हालत इतने बिगड़ते है की
अपने और पराये के फासले बदल देते है
कही निशाना चूक जाता तो कही
लग जाता है पर ज़िंदगी उस बाण के जैसे
चलते रहती की भले चूक जाये भी
निशाना पर फिर भी करते रहती है वार