"गर्व मुझे भारत भू पर"
"गर्व मुझे भारत भू पर"
भारत माँ को शीश झुकाऊँ,
पवित्र भू पर जन्म मिला।
पद प्रतिष्ठा शोहरत दौलत,
सुंदर जीवन फूल खिला।।
आजीवन मैं ऋणी रहूँगा,
तन मन से मैं रहूँ समर्पित।
राष्ट्र के लिए पड़े जरूरत,
ये जीवन कर दूँगा अर्पित।।
धन्य हमारे मात पिता है,
चुका नही सकूँगा मैं कर्ज़।
पाल पोस कर बड़ा किया,
अब निभाना मुझे है फ़र्ज।।
माँ व मातृ भूमि से बढ़कर,
इस जग में न कोई दूजा है।
यह दोनों ही है जीवन दात्री,
इनकी नित करूँ मैं पूजा।।
जब हो जन्म, हैअभिलाषा,
मैं भारतवासी कहा जाऊँ।
मातृ भूमि व मात पिता की,
जीवन भर सेवा कर पाऊँ।।
भारत भू के कण कण से,
मुझको बहुत ही प्रीत है।
यहाँ प्रकृति के दृश्यों में,
बजता रहता संगीत है।।