ऋणी आजीवन अंबर ऊँचाई अंबर की ऊंचाई है धारा की तरह बहता रहूंगा रहूंगा आजीवन आभारी असीम अनुकम्पा सदा कृपा कीन्हीं जीतीं बाज़ी सारी विश्वास न टूटने पाए एक हिंदी ग़ज़ल में पेश कर रहा हूं अगर आपको ये पसंद आये तो जरूर कमेंट करें मैं आपका आभारी रहूंगा दीपक सोलंकी रहीश

Hindi रहूंगा Poems