गर्मी की छुट्टी
गर्मी की छुट्टी
गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को संग लेकर गाँव चली हूँ
चंद पैसे लेकर, लाख खुशियों के पल जीने गाँव चली हूँ
जीवन की निराशाओं को दफ़नाने गाँव चली हूँ
मन मंदिर की दीप जलाने गाँव चली हूँ
चरणों में माँ - बाप के मुस्कुराहटों को निहारने गाँव चली हूँ भूली बिसरी यादों को दुहराने गाँव चली हूँ
रूठी हुई सखियों को गले लगाने गाँव चली हूँ
दादा - दादी के आशीर्वाद की पेटी लाने गाँव चली हूँ
अपनी मिट्टी के खुशबू की बोरी लाने गाँव चली हूँ |
कुछ बेतकल्लुफी के पल बिताने मैं निकल पड़ी हूँ
छोड़कर काम - काज के जाल, मैं चल पड़ी हूँ
गाँव की हसीन बस्तियों में ठिकाने बनाने मैं निकल पड़ी हूँ
आम के बागों में कोयल की आवाज़ सुनने आ गई हूँ
सुकून की साँस लेने शहर से दूर आ गई हूँ
पोखरे के शीतल जल की डुबकी लगाने गाँव चली हूँ
पवित्र हवा -पानी का आनंद लेने मैं गाँव चली हूँ
शुद्ध दूध -दही के लोभ में मैं गाँव चली हूँ
एसी की हवा को भूल कर पेड़ की छाँव में सोने गाँव चली हूँ
पर्यावरण को जी भर के ताकने गाँव चली हूँ |
