STORYMIRROR

Chandresh Kumar Chhatlani

Others

4  

Chandresh Kumar Chhatlani

Others

ग़ज़ल :: (नीति)

ग़ज़ल :: (नीति)

1 min
271



रदीफ़: "ना है"

काफिया: जोड़ना, ओढ़ना, मोड़ना, छोड़ना

बहर: 2122 2122 2122 212


रख जोड़तोड़ की नीति, वो कहते हैं कि रिश्ता जोड़ना है,

भरोसे की बातें करते हैं और काम भरोसा तोड़ना है।


हमें आईनों की ज़रूरत नहीं, ये ज़माना है नकाबों का मेला,

जो जैसा दिखा, वो वैसा नहीं, चेहरे पे सूरत को ओढ़ना है।


ग़र हक़ की सदा को उठाएंगे हम, तो दुश्मन हज़ारों बनेंगे यहाँ,

ख़मोशी को अपनी बना लो हुनर, हर इल्ज़ाम खुद पे मोड़ना है।


वो खुशबू की बातें किया करते हैं, मगर फूल शाखों से तोड़ेंगे,

हमें भी सिखाया गया ये सबक, जो चाहो उसे ही छोड़ना है।


अभी वक़्त बाकी है सोचो ज़रा, नफरत से कुछ भी मिलेगा नहीं,

मोहब्बत को गर तुम बचा ना सके, तो जीते-जी खुद को तोड़ना है।


Rate this content
Log in