STORYMIRROR

बोधन राम निषाद राज

Others

4  

बोधन राम निषाद राज

Others

गजल - आप यूँ ही

गजल - आप यूँ ही

1 min
359

आप यूँ ही नहीं आजमाया करो,

गैर हम भी नहीं दिल लगाया करोI


ज़िंदगी का सफर हो अकेला कभी,

साथ हमदम हमें भी बुलाया करो।


ये चमन हो हमेशा बहारों भरा,

प्यार का गीत हमको सुनाया करोI


यार देना नहीं दोस्ती का सिला,

आग दिल में नहीं फिर जलाया करो।


इश्क मीठा ज़हर है इसे चाव से,

घूँट ही घूँट 'बोधन' पिलाया करो।


Rate this content
Log in